त्वरित टिप्पणी @ भौकाली बाबा
2019 में लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी को असली टक्कर अगर कोई देने जा रहा है तो वह कोई और नहीं बल्कि यूपी के सीएम और देश के बेहतरीन मुख्यमंत्रियों में शुमार हो चुके अखिलेश यादव ही हैं। वर्तमान में अखिलेश यादव का न सिर्फ कद बढ़ गया है बल्कि सियासी समझ भी उनमें साफ दिख रही है। राजनीतिक हलकों में तो अब यह चर्चा भी जोरों पर है कि पापा मुलायम सिंह यादव ने इसी पटकथा को आधार बनाकर ही पारिवारिक उथल-पुथल को सामने लाया है। मकसद सिर्फ एक है और वह है अखिलेश को मजबूत करना। अखिलेश को सियासत में माहिर करना। उन्हें अहसास दिलाना कि अगर अपने भी साथ छोड़ दें तो भी कैसे सियासत में खुद के पांव को न सिर्फ मजबूत रखा जा सकता है बल्कि आगे भी बढ़ा जा सकता है। डिगना नहीं है। अपनों में फंसना नहीं है। दिल से मजबूत होना है क्यूंकि आगे का रास्ता यानी पीएम बनने का रास्ता इन सभी कांटों पर से गुजरकर ही मिलता है और इस सिसायी ड्रामे में अखिलेश जितने मजबूती से उभर रहे हैं। बाहर मुलायम जितने कठोर दिखे हैं अंदर से वे पूरे गदगद हैं. उन्हें अब अपने बेटे में अपना वो सपना पूरा होता दिख रहा है जिसे वे खुद पूरा नहीं कर पाए कभी। यानी पीएम बनने का सपना।
ऐसे संभव हो सकता है ये
बीजेपी के अलावा विपक्षी पार्टियों में सिर्फ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को छोड़कर कोई भी इस कद का नहीं है जो पीएम मोदी को टक्कर दे सके। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी हर मोर्च पर हर बार फेल ही दिखते हैं। नीतीश कुमार का नाम अभी तक विपक्ष के लिए सर्वमान्य नेता के रूप में था लेकिन पिछले कुछ महीनों की यूपी में सियासी उठापठक ने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को वह ऊंचाई दे दी है जहां फिलहाल नीतीश भी नहीं हैं। अखिलेश पर कोई दाग नहीं है और अखिलेश ने खुद को विकास का सिंबल बनाकर पेश कर दिया है। प्रदेश की बड़ी युवा आबादी अखिलेश के साथ है और अब पारिवारिक उठापठक में सभी को साध कर पार्टी पर एक तरफा कब्जा जमा लेने के उनके हुनर से विपक्षी पार्टियां भी समझ गई हैं कि सियासत की बखूबी समझ हो गई है अब इस नौजवान में। ऐसे में जब बात युवा चेहरे की आएगी। जब बात टक्कर देने की आएगी तो अखिलेश ही उभरकर सामने आएँगे अब लगभग ये तय हो गया है।