सियासी बकैती
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव आने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर एकदमे निश्चिंत दिख रहे हैं। कहीं भी देख लीजिए एकदम मुस्कराते हुए कहेंगे –भईया जीत पक्की है अपनी..जनता जानती है कि हम केतना विकास किए हैं। पर, घर की कलह जो सामने आई है उसका क्या..। घर का विवाद जो सड़क तक पहुंचा है उसका क्या..क्या जनता ये सब नाही देख रही या जनता को ऊ समझे हैं नेता लोग....क्या विकास के नाम पर जनता टीपू के सिर ताज सजा देगी...फिलहाल तो यह मुश्किल ही दिख रहा है।
इसमें कोई दो राय नहीं कि अखिलेश यादव ने अच्छा काम किया है। प्रदेश के विकास की गति को बढ़ाया है। हालांकि अपराध पर अंकुश लगाने में वे काफी हद तक फेल भी रहे हैं। हालांकि अखिलेश यादव का दावा है कि दूसरे प्रदेशों की तुलना में अपराध स्तर यूपी में काफी कम है। सीएम साहेब को सोचना चाहिए कि जनता दूसरे प्रदेशों से तुलना नहीं चाहती जनता खुद की सुरक्षा चाहती है और इस मोर्च पर अगर बात होगी तो अखिलेश को झटका लग सकता है।
अखिलेश की छवि अच्छी है। इसमें कोई दो राय नहीं है। उन पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं उठ सकता न ही उठा है लेकिन उनके भ्रष्ट मंत्रियों का क्या..आखिर उनके मुखिया तो अखिलेश ही माने जाएंगे। और फिर सवाल तब जनता करेगी ही कि जब भ्रष्ट मंत्री हटाते हो तो दोबारा उन्हें जगह क्यूं देते हो...सिर्फ पापा और सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के कारण। तो भईया सरकार आप चला रहे हैं तो नैतिक जिम्मेदारी आप की ही बनती है और इस मोर्चे पर यानी अपने मंत्रियों के भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने में भी अखिलेश फेल रहे हैं।
ऐसे में अगर कुल मिलाकर इस बार चुनावी समर की बात की जाए तो सिर्फ अखिलेश की साफ छवि और उनके विकास कार्य पर ही जनता वोट करेगी या फिर सभी स्तर पर तौलेगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा..।