by अनाम
मुझे अच्छी तरह याद है कि वो हॉस्टल में मेरे साथ रहती थी। मेरी रूम मेट थी वो। हम दोनों में ऐसी कोई बात नहीं थी जो छिपी हुई थी। और शायद हमारी दोस्ती की सबसे खूबसूरत बात यही थी। हम दोनों एक दूसरे पर जान छिड़कते थे।
फिर आखिर ऐसा क्य हुआ कि वो उस रोज कि वो सुबह से मुझसे दूर-दूर रहने लगी..। मुझसे बात ही नहीं कर रही थी..। जब देखो तब दूर-दूर भाग रही थी। मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर ये ऐसा क्यूं कर रही है..। मैंने कई बार पूछा तो वो बोली कुछ नहीं बस ऐसे ही...।

मैंने भी शाम तक उसे छोड़ दिया। मुझे लगा कि रात में तो वो बात जरूर बता देगी क्यूंकि मैं उसे जानती थी। वो कोई बात मुझसे एक दिन से ज्यादा छुपाए नहीं रख सकती। और वही हुआ जब रात में हम दोनों अपने रूम में थे तो मैंने पीछे से उसे अपनी बांहों में भर लिया। उसका माथा चुमा और पूछा कि क्या बात है आज कुछ हुआ क्या..सब ठीक है न...
मेरा इतना पूछना था कि वो चिल्ला पड़ी मुझ पर। गंदी लड़की...मुझे भी शिकार बनाना चाहती हो क्या...दूर हो जाओ मुझसे...मैंने वार्डन से बात कर ली है कल मेरा रूम बदल जाएगा। और हां., तुम्हारी गंदगी के बारे में उन्हें नहीं बताया है शुक्र मनाओ...। बस अब से हमसे कोई नाता मत रखना...।
मैं धक से रह गई। मेरी आंखें भीग आईं। आखिर मैंने किया क्या...। मैंने गुस्से में कहा, ठीक है मैं नहीं करूंगी तुमसे कोई बात...लेकिन अब चुपचाप बता दो कि आखिर हुआ क्या है उसके बाद तुम अपने रास्ते और हम अअपने रास्ते...
वो बोल पड़ी..रात में तुम क्या कर रही थी..अपने ब्रा और पैंटी में .....वो सब कुछ क्या था....मैंने भी पोर्न फिल्में देखी हैं मुझे मालूम है कि तुम हैस्तमैथुन कर रही थी। बोलो नहीं कर रही थी क्या....
मैं हंस पड़ी....उसकी नादानी पर..। हां यार मैं कर तो रही थी। इनफैक्ट हम दोनों जब पहली बार पोर्न देखे थे तब भी मैंने रात में किया था...। छी ..शर्म नहीं आती तुमको। ये घिनौना काम करती हो..। मालूम है तुम्हें कि ये पाप है। ये गलत है। ये सिर्फ लड़के करते हैं लड़कियां नहीं।
अब मैं उसे क्या बोलती। मैं समझ गई कि जिस समाज में हम हैं और जिस तरह से अब तक वो चीजें सुनती आई है वो तो बेचारी वैसा ही बोलेगी। मेरे लिए भी तो तब तक ऐसा ही था जब तक मैं खुद इसे समझ नहीं गई थी...।
मैंने उसे अभी छोड़ दिया ये कहते हुए कि कोई बात नहीं तू रूम बदल ले लेकिन जब तुम्हें ये बात समझ आ जाए कि हस्तमैथुन लड़कियों या लड़कों दोनों के लिए है और इसमें कोई बुराई नहीं तो अपनी दोस्ती फिर से पक्की कर लेना...।
दरअसल, ये हमारे समाज का इतना बड़ा टैबू है कि अभी भी बड़े पैमाने पर इस बारे में सोचना भी पाप लगता है लड़कियों को। और पितृसत्तात्मक समाज चाहता है कि ये टैबू बना रहे।
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