Posted by rajusingh in
राजनीति
January 06, 2017
देश भर में कांग्रेस सिमटती जा रही है। अगला चुनाव यूपी का है। देश की गद्दी का रास्ता भी यहीं से होकर जाता है। देश के सबसे बड़े सूबे से संजीवनी पाने की जुगत में है कांग्रेस। राजनीतिक चाणक्य की भूमिका आजकल निभा रहे पीके यानी प्रशांत किशोर से कांग्रेस को उम्मीद है। उन्हें पूरा छोड़ रखा गया है कि वे प्रयोग करें। पीके ने प्रयोग के तौर पर शीला दीक्षित को आगे किया है। तो दिल्ली में कांग्रेस की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित यूं तो उम्र का लंबा पड़ाव पार कर चुकी हैं पर कांग्रेस को उम्मीद है कि शीला के जरिए वे कुछ बेहतर कर सकते हैं। इसी क्रम में पीके के कहने पर ही राज बब्बर को यूपी कांग्रेस की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है। अब शीला और राजबब्बर के सहारे जोश भरने का काम किया जा रहा है। सुस्त पड़े कार्यकर्ताओं में जोश भरकर जगाया जा रहा है। शीला के बहाने ब्राम्हण वोट को अपनी तरफ खींचने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस को उम्मीद है कि शीला के आने से ब्राम्हण वोट उनकी तरफ आना तय है। इससे बसपा और भाजपा को नुकसान होगा और पार्टी फायदे में रहेगी। पीके की भी यही रणनीति है। अब देखना दिलचस्प होगा कि शीला के जरिए पार्टी कहां तक खुद को बचा पाती है यूपी में...।