by BHAUKALI BABA
गांवों को जिया है आपने तो हेडिंग पढ़ते ही मजा आ गया होगा। प्लीज अब बनिए मत ज्यादा। छिपाइए मत। दिल में तो पढ़ते ही हिलोर उठा ही होगा और हां, उस रात की जिस रात आपने पहली दफा आर्केस्ट्रा देखी थी, उसकी भी याद आई होगी।
तो आइए इस सीरिज में जिसमें कि हम आपको हर रोज गांव की कोई दिलचस्प कहानी सुनाएंगे। आज सुनाते हैं उस कहानी को जब हमरे गांव में एक ठो शादी में आर्केस्ट्रा आया। कोई 14-15 साल के लौंडे रहे होंगे हम लोग। लेकिन स्याला गोरखपुरिया थे इसलिए उसी उम्र से पूरे तुफानी थे।
गांव में सबसे पहिले शादी की तारीख तय होने के साथ ही हमरे ग्रुप को जो कि सबसे किशोर ग्रुप था उस ग्रुप को पता चल जाता था कि किसके घर शादी में आर्केस्ट्रा आ रहा है और किसके घर वो वीडियो। जी हां, वही वीसीआर वाला वीडियो का तब जमाना था। उस पर बात बाद में इस कहानी में बात सिर्फ आर्केस्ट्रा पर।
त भईया। हमरे बगल वाले पड़ोसी पांडे जी के घर शादी तय हुई। और हम शादी की तारीख तय होने के दिने ही अपने ग्रुप में ऐलान कर दिए कि स्यालों जबर आर्केस्ट्रा आने वाला है। तइयार रहना है। इ तैयारी इसलिए कि हमरे पप्पा और चच्चा लोगों का साफ फरमान रहता था लौंडिया डांस देखने गए तो टांग तोड़ देंगे लेकिन हम अपने मम्मी और चाची लोगन का सहारा लेकर स्याला कोई चांस मिस नहीं होने देते थे।
अब बोलिए भला चच्चा और पप्पा खुदे जाएंगे लेकिन हम नाही जाएंगे। काहें भाई, लौंडिया आप ही ताड़ेंगे, हम नहीं ताड़ सकते। स्याला यही सोच थी तब हमारी। क्या करें। माफ कीजिएगा पर जो सच है उहे लिख रहे हैं। उस समाज में रहकर हम लोग ऐतना ही सोच लेते थे बहुत था।
लेकिन आदर भी करते थे। आदर इस रूप में कि अगर पापा, चच्चा जिधर रहते थे उसके ठीक अपोजिट बैठते थे। उनके पास नहीं। छिप कर आनंद लेते थे। ऊ लोग तो घंटा-दो घंटा में लौट आते थे और हम लोग पूरी रात चांपते थे वहां।
जब पापा और चच्चा लोग चले जाते थे तो हम लौंडे खुलकर खेलना शुरू करते। एक से बढ़कर एक फरमाईशी गाना। फरमाइश पूरी हो गई तो पैसा भी लूटा देते थे। दस-दस रुपए का छुट्टी खूब कराए रखते थे। स्याला शान था बे। कोई ए न कहे कि बबवा की पार्टी कम पैसा लुटाई है।
ग्रुप का पूरा दारोमदार हमरे ऊपर था। अपनी पसंद की डांसर को बुलाने के लिए हम लोग थोड़ा और खर्च करते थे और पूरी रात ये सिलसिला चलता था। जोश में आने पर कई बार मंच पर कई बार वो ट्रैक्टर-ट्राली पर नाचती थीं, तो उस पर चढ़ने की असफल कोशिश करते थे। लेकिन सफल शायदे कभी हुए होंगे। लेकिन भईया मजा बहुते आता था। ...
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