प्रिय केजरीवाल जी
गोड़ लागतनी....
चिट्ठी कहां से लिखल शुरू करीं बुझात नइखे। पर, चलीं भूल चूक माफ कर देईब आप हम कहीं से भी चिट्ठी के शुरुआत कर दे तनी।

त जी केजरीवाल जी। पता बाटे जब रऊंवा अन्ना जी की साथे बड़का आंदोलन में उतरल रहनी न त हम सब जवानी के दहलीज पर कदम रखले रहनी जा। भ्रष्टाचार के दीमक से सड़त जात इ देश के बचावे खातिर रऊंवा जब अन्ना जी की मंच से आह्वान कइनी न त हमनी का कई ठो दोस्त बाइक पर गोरखपुर से निकलके लखनऊ ले पहुंच गईनी जा। हर शहर में राऊर झंडा बुलंद करेके खातिर।
ट्रेन पकड़िके दिल्ली भी आइल रहनी जा जौने समय रऊंवा लोग मंच पर सुतिके लगातार देश के युवा के झकझोर के देश में लोकपाल बैठावे के मुहिम चलवनी। ओकरी बात तमाम आरोप लागल लेकिन रउवां प्रति हम नौजवानन में प्यार बरकरार रहल।
और फिर चुनाव आईल। पूरा दिल्ली में घूम-घूम प्रचार कईनी जा कि बदलाव लावे के बाटे त आपे के चुने के पड़ी। रऊंवा जीत गईंनी। रऊंवा जौने तरह से शुरुआत कईनी मजा आ गईल। कसम से ऊ रात हमनी का कई ठो दोस्त इमोशनल होके खूबे रोअनी जा। कहनी जा कि यार इ अरविंद जी त सच में लागता देश बदल दी हें। और फिर राउर इस्तीफा हो गईल।
आरोप लगाल। दिल्ल के धक्का लागल। लेकिन फिरो हमनी का विश्वास कईनी जा। और ऐतना बड़ जीत दिहनी जा कि रऊंवा खुदो कबो सपनों में ना सोचले होखब। अब लागता कि ऐतना बड़ जीत ना दिहल चाहत रहूवे रउवां के। रऊंवा त उड़े लगनी। आम आदमी होखले की बजाए सब कुछ खास आदमी की तरह करे लगनीं।
केजरीवाल जी खाली आरोप लगवले से सरकार ना बनेला। अबे त उपचुनाव में झटका लागल बा। पंजाब में औकात पता चलल बा। आगे और बुरा हो जाई। त अबो टाइम बाटे।
कहल जाला न कि जब जाग तबे सबेरा। त आपहूं जा जाईं। अबो हमनी कि दिल के कोना में कुछ थोड़ा सा जगही बचल बाटे रऊंवा के सम्ममान में। त अगर ओतनो जगही के और बचाके आगे बढ़ावल चाहतनी त तनी बढ़ियां काम करीं। जात-जात अईसन त क जाईं कि एग ठो आस त मन में रहे कि दोबारा ये पार्टी के बारे में सोचल जा सकेला। कम से कम आस त बचले रहे के चाहीं।
राउर एक ठो पहिले के प्रशंसक....। अब नइखीं। बढ़िया करब रऊंवा त फिर बन जाइए।
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