बचपन की मासूमियत अब कहां मिलेगी। कितने मासूम दिन हुआ करत थे वो। हमारी जो पीढ़ी अपना बचपन गुजारकर आज जवानी की दहलीज पर है उसके सामने बचपन के तमाम मासूम और शरारती किस्से हैं।
हालांकि बचपन तो हमेशा ही एक सा ही होता है मासूम और सच्चा। हां, ये अलग बात है कि आज का बचपन थोड़ा फास्ट हो गया है। वो थोड़ा टेक्निकल हो गया और इसलिए उसके बचपन में उतनी सारी मासूम कहानियां नहीं बची हैं। और ये बहुत बड़ा अफसोस भी है।
वरना हमारा बचपन तो ऐसे गुजरा जैसे हर पल एक कहानी हो। हर पल कौतुहल हो। हर पल मजा हो। हर पल सजा भी हो, आखिर पिटते भी तो थे हम। पर, खिलंदड़ी थी हमारे बचपन में। मजा आता था बचपन में। इतना बोझिल जवानी के दिन होते थे कहां सोचा था। ये मासूमियत यूं ही गायब हो जाएगी ये कहां सोचा था।
खैर, हम आपको बता रहे थे उन कहावतों, उन किस्सों के बारे में जो बचपन में हम सुने थे। किसी कहानियों के जरिए, दादी नानियों के जरिए। और वो बातें झूठी होती थीं लेकिन हम सच मान बैठते थे।
पढ़िए क्या थीं वो बातें

तरबूज का बीज थूक देना, पेट में गया तो पेड़ बन जाएगा
अक्सर कोई बड़ा और समझदार दोस्त ये हिदायत देता था। कई बार घरों में भी बड़े लोग हिदायत देते हुुए ये बात कहते थे ताकि डर के कारण हम मान लें बात।
कड़ाही में मत खाना नहीं तो दूर होगी शादी
ये बुआ या मामी लोग शरारत में हंसी-ठिठोली में कहती थीं। हालांकि कुछ घरों में मम्मी लोग भी बेटियों को इसे लेकर टोकती रहती हैं।
भगौना में खाए तो शादी में खूब होगी बारिश
आज भी ये कहावतें गांवों में जारी हैं। भगौना में खाने पर बारिश कैसे हो सकती है। मेरे तो आज तक पल्ले नहीं पड़ा।
-बाहर मत खेलो, बाबा आएंगे उठा ले जाएंगे
ये तो मेरे साथ भी हुआ है। मेरी मम्मी भी डराने के लिए कहती थीं। कुछ बड़े भइया लोग तो कहानी भी बनाकर सुना देते थे कि वो खेल रहा था और उसे बाबा उठा ले गया था।
-चंदा मामा कटोरे में उतर आए हैं
ये बचपन की एक मासूम झूठ थी। लेकिन चांदनी रात में हम उसके नीचे बैठे कटोरे में दूध-भात खाते हुए मान भी लेते थे कि चांद कटोरे में उतर आया है।
-ज्यादा टॉफी मत खाओ नहीं तो दांत टूट जाएंगे शादी नहीं होगी
इस झूठ पर हम हंस देते थे। और दूसरोें को समझाने के लिए तैयार हो जाते थे। शादी जैसी बात बचपन में बहुत ही मासूम ही मानी जाएगी।
-चप्पल उल्टा मत रखो, घर में झगड़ा होता है
मैं कई बार चप्पल उल्टा कर देता था कि देखें कैसे झगड़ा होता है लेकिन एक बार भी नहीं हुआ लेकिन जब भी कोई घर का बड़ा देखता तो यही कहता कि चप्पल सीधी करो नहीं तो झगड़ा हो जाएगा।
-विद्या कसम मत खाना, बात झूठी हुई तो सारी विद्या चली जाएगी
स्कूल के दिनों का एक और झूठ। मैंने तो बहुत विद्या कसम खाई और पढ़ाई में हमेशा ही टॉप करता रहा। ये कसम से कुछ नहीं होता है मेहनत से सब होता है।
पैर हिलाने से लक्ष्मी चली जाती है
लक्ष्मी चली जाती है। भईया लक्ष्मी हो तब न जाएंगी। हाहाहाहा....। मैं तो ये नहीं मानता हालांकि आज भी इसकी मान्यता बहुते हैं।