सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पहली बार है जबकि राजनीतिक अखाड़ में नहीं दिखाई दे रहे हैं। वरना कुश्ती के अखाड़े से लेकर राजनीतिक और प्रेम के अखाड़े तक सभी जगह अव्वल आते रहे हैं मुलायम सिंह यादव। आज मुलायम जरूर राजनीति में हाशिए पर चले गए हों लेकिन यूपी वालों को वो दौर आज भी याद है जब मुलायम सिंह यादव की तूती बोलती थी।
एक पहलवान जब राजनीति में आया तो यहां के दंगल को भी जीतता चला गया और आज देश का सबसे बड़ा राजनीतिक कुनबा उसके पास है। समय तो सबका एक दिन चला ही जाता है लेकिन असली हीरो वही होता है जिसे हर समय याद किया जाए। मुलायम सिंह यादव राजनीति में वो जगह रखते हैं कि आज हाशिए पर होने के बावजूद उन्हें याद किया जाता है।
मुलायम सिंह यादव के कई दिलचस्प किस्से हैं। जिन्हें जानना जरूरी है। पढ़ना जरूरी है। पढ़ना इसलिए भी जरूरी है कि समाजवाद को किस तरह से मुलायम ने आगे बढाया और आज जिसके रथ को उनके बेटे सीएम अखिलेश आगे बढ़ा रहे हैं. वो किन किन रास्तों से गुजरा है।
तो आईए पढ़ते हैं मुलायम सिंह यादव की कहानी।
मुलायम की जिंदगी

1. 22 नवम्बर, 1939 को इटावा के सैफई में जन्म
2. इनके पिता का नाम सुघर सिंह और माता का नाम मूर्ति देवी
3. 15 साल की उम्र में ही डॉ. राम मनोहर लोहिया के आह्वान पर ‘नहर रेट आंदोलन’ में भाग पहली बार जेल
4. 28 की उम्र में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार विधायक बने।
5. मुलायम सिंह जसवंत नगर और फिर इटावा की सहकारी बैंक के निदेशक भी रहे |
6. 1967 में पहली बार विधान सभा के सदस्य और मंत्री बने |
7. 1992 में समाजवादी पार्टी बनाई औ - तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे |
यूं आया साधना पर दिल |
1982 में जब मुलायम लोकदल के अध्यक्ष बने उस वक्त साधना गुप्ता पार्टी में एक कार्यकर्ता की हैसियत से वर्क करती थीं। साधना बेहद खूबसूरत थीं और 20 साल छोटी थीं। पर, प्रेम में उम्र का बंधन कहां है। यही वजह है कि पहली ही नजर में मुलायम सिंह दिल दे बैठे |
इस समय साधना और मुलायम सिंह दोनों ही शादी शुदा थे। बताया जाता है कि अमर सिंह के अलावा किसी को भी इनके बीच प्रेम की जानकारी नहीं थी | कहा जाता है कि साधना से मुलायम के प्रेम की जानकारी उनकी पहली पत्नी और सीएम अखिलेश यादव की मां मालती देवी को हो गई थी।
जब मुलायम सिंह यादव पहली बार सीएम बने तो ये चर्चा बहुत तेज हो गई थी कि उनकी दो पत्नियां हैं। हालांकि दबदबा इतना था कि सभी दबी जुबान ही बोलते थे।
बताया जाता है कि इस समय जाकर अखिलेश यादव को जानकारी हुई कि उनके पिता जी की दूसरी शादी हुई है और उनसे उनका बेटा है प्रतीक। 2003 में मुलायम की पहली पत्नी मालती देवी का निधन हुआ। 2007 में अमर सिंह ने सार्वजनिक मंच से नेताजी से साधना गुप्ता को पत्नी स्वीकार करने का आग्रह किया था।
और इसके बाद साधना गुप्ता पर आय से अधिक संपत्ति के मामले में चल रहे केस में सुप्रीम कोर्ट में एक शपथपत्र दिया, जिसमें उन्होंने साधना गुप्ता को पत्नी और प्रतीक को बेटा माना। अखिलेश यादव को माना जाता है कि वे तभी से अमर सिंह को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं और आज भी वे उन्हें पसंद नहीं करते हैं।
हालांकि पिता को लेकर अखिलेश के भीतर अब भी पहले जैसा ही प्रेम है। जब दारोगा को पटक दिए थे मुलायम एक कविता सम्मेलन में मशहूर कवि दामोदर विद्रोही ने उस दौरान सरकार के खिलाफ कविता पढ़ दी तो सुरक्षा मेंलगे एक दारोगा ने माइक छीन लिया। बस फिर क्या था दर्शकों में से एक युवक मंच पर चढ़ा और उठाकर दारोगा को पटक दिया। ये मुलायम सिंह यादव थे।