ब्लू फिल्म देखते हैं। चलिए इतना मत शरमाइए। चोरी-छिपे तो देखे ही होंगे। चलिए मान लिया कि नहीं देखे हैं लेकिन ये शब्द न सुने होंगे ये तो मैं अब नहीं मानूंगा, चाहें आप कितना भी कहिए कि नहीं-नहीं शब्द भी नहीं सुने हैं। तो स्वीकार कीजिए कि शब्द सुन चुके हैं तो मैं आगे बढ़ूं।
ठीक है तो मैं बता रहा हूं कि चोरी-छिपे जिन गंदी फिल्मों को देखते हैं या ये ब्लू फिल्म बार-बार सुनते हैं उसके बारे में आखिर क्या हम जानते हैं। मुझे लग रहा है कि ज्यादातर लोग नहीं जानते कि इन गंदी फिल्मों को ब्लू फिल्म आखिर कहते क्यूं हैं। तो आइए आपको आज इस सवाल का जवाब मैं दे ही दूं कि आखिर ब्लू फिल्म नाम कैसे पड़ गया ।
जी तो पढ़िए। 1920 के आसपास ये गंदी फिल्में बेहद सस्ते में बनने लगी थीं। ब्लैक एंड व्हाइट फिल्में रील के महंगे होने के कारण महंगी थी और उसका इस्तेमाल लांग टर्म में नहीं हो सकता था। उन्हें ब्लैक एंट व्हाइट फिल्मों में ज्यादा दिन बाद नीले रंग के कलर दिखने लगते थे। इस तरह की फिल्में बनाने वाले उसे खरीदकर लाते और अपनी गंदी फिल्में शूट करते।
इस वजह से वो फिल्में हल्की नीली दिखाई पड़ने लगतीं। और लोग उसे ब्लू फिल्म के नाम से पुकारने लगे। ये नाम इतना प्रचलित हुआ कि आजकल ये फिल्में शूट नहीं होने के बावजूद हम आज भी इस तरह की फिल्मों को ब्लू फिल्में ही बोलते हैं।
हालांकि एक और वजह बताई जाती है। वो ये कि एक फिल्म बनी थी ब्लू मूवी नाम से। इस फिल्म में गंदे दृश्य या कहें कि एडल्ट दृश्य खूब थे। कहा जाता है कि तकनीकी खराबी के कारण इस फिल्म के ज्यादातर हिस्से ब्लू थे और लोग देखकर आते तो चर्चा में इसे ब्लू फिल्म बोलते और यहीं से ये बात शायद प्रचारित हो गई। एक धारणा ये भी है कि पश्चिमी देशों में एक ब्लू लॉ के तहत कई चीजें प्रतिबंधित होती थीं या हस्तक्षेप के दायरे में होती थीं। इसके कारण भी प्रतिबंधों को देखते हुए इस फिल्म को ब्लू फिल्म कहा गया।