हर लड़की का इक सपना होता है। लड़की जैसे-जैसे जवान होती है उसके सपने भी जवां होते जाते हैं। जवानी की दहलीज पर जब लड़कियां कदम रखती हैं तो आसमां छूने के उनके सपनों को धीरे-धीरे पर लगने लगता है। घर की चाहरदीवारी में कैद लड़की अपनी आजादी के सपने देखना शुरू कर देती है। गुड़ियों से निकलकर अब उसकी ख्वाहिशें और उसके सच्चाई की दुनिया से मुठभेड़ करते हैं। वह इस दुनिया में अपने के लिए कुछ खूबसूरत पल चाहती है। उसकी ख्वाहिशें, उसके सपने उसे बार-बार छलांग लगाने और खुले आसमां में उड़ चलने को प्रेरित करते हैं। यहां वह अपने साथ-साथ अपने परिवार के लिए भी सपने संजोती है।
सभी सपनों को साथ पूरा करने के लिए अपने कदम बढ़ा देती है। 18 की जवान उम्र में लड़कियों के क्या सपने होते हैं...। उन सपनों के लिए उनकी कोशिशें और उन कोशिशों के लिए उनके साथ कौन-कौन खड़ा होता है। बाबा भौकाली ने लड़कियों पर काफी रिसर्च किया है। अपने हर रिसर्च में वह कुछ बेहतर लेकर आते हैं। लड़कियों के सपनों पर उनकी यह रपट पढ़ लो महराज..आप भी कहेंगे कि बाबा सब जानत हैं..जग में....।