सिविल सेवा के अधिकारी अष्टानन्द पाठक की कलम से

अभी कुछ दिन पहले ही भारतीय सिविल सेवा के मुख्य परीक्षा 2016 का परिणाम आया है। इस क्षेत्र में संघर्षरत हजारों की संख्या में छात्र मुझसे जुड़े रहे हैं। एक मिश्रित मनोदशा हो जाती है मेरी, जब कोई परिणाम घोषित होता है।
कितने ही युवाओं के अत्यंत प्रसन्नता और ऊर्जा से भरे फोन आते हैं, जिनका जीवन पूर्णतः परिवर्तित होने में सिर्फ चन्द क़दमों की दूरी तय करनी है, तो दूसरी तरफ बहुत बड़ी संख्या ऐसे छात्रों की भी है जो एक गहरी निराशा और हताशा में मुझे सन्देश लिखते हैं। जो मन को विचलित भी करता है।
इस खत के साथ ही अपना वही संघर्ष वाला समय, वही बेचैनी सब दिमाग में तारो-ताज़ा हो जाती है।
अभी तो सिर्फ यही कहना है कि सदैव अपने और ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखना है। ये अटूट भरोसा रखने की जरूरत है कि ईश्वर के दरबार में कभी अन्याय हो ही नहीं सकता।
(अपनी माता जी के साथ)
मेरी अम्मा के शब्दों में 'भगवान् कभी किसी की मजूरी नहीं रोकता', उसे आज नहीं तो कल देता जरूर है। तो अगर आपने ईमानदारी से अपने लक्ष्य के लिए खुद को समर्पित किया है, खुद की कठिन घिसाई की है, तो यकीन मानिये कि सफलता आपके लिए सिर्फ समय की बात है।
हो सकता है कि आपका समय अब आने वाला हो। किसी भी परिस्थिति में स्वयं को बिल्कुल भी अनावश्यक मानसिक यातना नहीं देनी है। ईश्वरीय न्याय में भरोसा रखिये और प्रसन्नता से अपना कर्म करते हुए अपने सूर्योदय की प्रतीक्षा कीजिये।
अब कुछ जरुरी बातें अभिभावकों से,
मुझे पता है की आपका मन अत्यधिक विचलित रहता होगा। मन असुरक्षा में होगा कि आपका बेटा सिविल सर्विस, इंजनियरिंग या डॉक्टरी की सफलता मापक मापदण्ड पर खरा उतरे और सफल हो या न हो।
लेकिन आप अपने जिन्दा चेतन मन से देखते रहिएगा कि आपका जो पाल्य आपके सपनों को पूरा करने के लिए तैयारी कर रहा है ,इनमें भारत नवनिर्माण के भविष्य के अच्छे कलाकार भी हैं,रचनाकार भी है, साहित्यकार भी हैं।
जिन्हें गणित की उलझी हुई जीवनशैली को समझने की रत्तीभर भी जरूरत नहीं है, इनमें बड़ी बड़ी कंपनियों के सीईओ भी बैठे हैं जिनको आंग्ल भाषा का ककहरा और प्राचीन इतिहास की भूली बिसरी बातों को समझने में कोई रस नही आ रहा।
इन प्रतिभाओं में भविष्य के बड़े-बड़े संगीतकार भी हैं। जिनको सल्फ्यूरिक अम्ल वाली रसायन शास्त्र में रत्ती भर भी मजा नही आ रहा।
इन्ही धरोहरों में अगला ओलम्पियन भी भौतिक विज्ञानं की ख़ाक छान रहा।
अब अगर आपका पाल्य आपके सपने को पूरा करते हुए इन हाड़तोड़ परीक्षाओं में सफलता पाता है तो आपको मुबारक हो। परन्तु अगर वह उस मापदण्ड पर खरा नहीं उतरा तो आप बच्चे से उसका आत्मविश्वास और उसका स्वाभिमान छीनकर उसकी सामाजिक हत्या तो कत्तई न करें l
अगर वह कुछ लकीरों को क्रॉस नही कर पाया तो आप उन्हें हौसला दीजिएगा की कोई बात नहीं यह एक छोटा सा इम्तिहान हैl
वह तो जिंदगी में इससे भी कुछ बड़ा करने के लिए बनाया गया है। ईश्वर ने अपनी हर एक रचना को किसी एक विशिष्ट कार्य के लिये बनाया है। हर एक इंसान वो कार्य करने के लिए आया है जो दुनिया का कोई भी दूसरा इंसान नही कर सकता।
ईश्वर के लिए, समाज के लिए और उस पाल्य के लिए जिसके भीतर आपका खून बह रहा है ऐसा ही आप भी सोचिये। और जब आप ऐसा सोचेंगे तो फिर जो दृश्य आपके सामने होगा उसकी परिकल्पना भी नही की जा सकती।
कुछ मापदण्डों पर आधारित परीक्षाएं आपके बच्चे से इसके सपने और इसका टैलेंट नहीं छीन सकते।
और हाँ,
ये तो एकदम मत सोचियेगा की एक बार असफल आदमी सफल नहीं हो सकता। इतिहास गवाह है, गिर कर उठने और उठ कर चलने में ही मानवता का और महान मानवीय मूल्यों का विकास हुआ है। इसलिये ईश्वर की उस अभूतपूर्व रचना का हौसला बढाइये और फिर देखिये, वो दुनिया बदल सकता है।
एक बार फिर जो सफल हुए उन्हें शुभकामना , साथ ही इस सूची में स्थान नहीं बना पाने वाले साथियों से कहूंगा कि बिलकुल भी हताश नहीं हों।

अपने शिकार पर हमला करने जा रहे चीते की मुद्रा याद कीजिये कि कैसे वो पहले खुद को समेट कर पीछे की तरफ हटता है....वह असल में पीछे नहीं हट रहा होता बल्कि अपनी पूरी ऊर्जा को एकत्रित करके सिर्फ अगले एक छलांग में अपने शिकार को निपटा देने की मुद्रा में होता है।
आप भी हताश होने की जगह अपनी ऊर्जा केंद्रित करने पर ही लग जाइये। क्योंकि,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती....
और काल देवता कभी इसकी गणना नहीं करते कि आप कब और कितने देर-सबेर में सफल हुए। वहां तो एक ही हिसाब रखा जाता है कि आप अंततः सफल हुए या नहीं।
एक बार सिविल सेवा में सफल होने के बाद 'आप किस बैच के हैं' की बजाय आपके अंदर कितनी ऊर्जा है , कितनी आग है, कितना अनुभव है और सबसे बढ़कर,
आपमें कितनी मात्रा में 'इंसान' हैं, सिर्फ यही मायने रखता है।
(अष्टानन्द पाठक 2010 बैच के सिविल सेवा के अधिकारी हैं और वर्तमान में लखनऊ मंडल में मंडल वित्त प्रबंधक के पद पर तैनात हैं)