समरजीत सिंह की कलम से

पहली दफा लिखने की गुस्ताखी कर रहे हैं। गलती-सलती हो तो ज्यादा लोड मत लिजिएगा.. और अगर लोड ले भी लेंगे तो उससे आपका ही समय खराब होगा। काहें कि हम तो ऐसी गलती चौड़े में करने के आदी हैं।
तो चलिए कहानी शुरू करते हैं। कहानी की शुरुआत होती है आईआईएमसी (मेरा कॉलेज) के कंप्यूटर क्लॉस की उस दोपहर से जहां अंग्रेजी पत्रकारिता की एक लड़की की पहली झलक न दिमाग को सन्न कर दिया था।
लड़की इतनी जंची थी कि अगले कई मिनट तक हमारा ध्यान कंप्यूटर से हटकर उस पर ही टिका रहा। हालांकि ऐसा सिर्फ मेरी तरफ से था, जिसके लिए हम पागल हुए जा रहे थे उसे न तो हमारे जैसे टिपिकल टाइप बिहारी लौंडे में कोई इंटरेस्ट था और न ही वह हमसे कोई फ्रेंडशिप वगैरह करना चाहती थी।
अब हम ठहरे बिहारी। स्याला चांस लिए बगैर हार मानें तो मानें कैसे। जैसे तैसे करके अपने सबसे खास दोस्त प्रेमी (इसी नाम से मशहूर है आईआईएमसी में) से मदद मांगी। उसी से ही उम्मीद थी इसलिए बगैर देरी किए उसे सब कुछ बताया।
प्रेमी ने भी बगैर देरी किए कहा गुरु आईआईएमसी में यह तुम्हारा पहला प्यार है, फोन नंबर क्या, उससे मिलवाने तक की कोशिश की जाएगी।
दोपहर को प्रेमी से हुई बात के बाद अब रात के आठ बज चुके थे लेकिन अभी तक कोई फोन या मैसेज नहीं आया था। दोपहर से शाम तक के बीच हम सैंकड़ों बार अपने पहले मोटोरोला फोन , जो उस समय तक स्मॉर्ट फोन में गिना जाता था, पर नजर टिकाए बैठे रहे। जब कई घंटों के इंतजार के बाद भी प्रेमी का फोन नहीं आया तो रहा नहीं गया और हमने अपनी तरफ से ही फोन लगाया।
प्रेमी के फोन उठाते ही पहले तो दम भर गालियां परोसी गई और आखिर में कहा गया कि यार, तुम्ही हो जो हमारे और उसके बीच की दूरी को पाट सकता है, इसलिए फोन नंबर देकर पहला स्टेप तो पार कराओ गुरु।
प्रेमी ने हंसते हुए कहा, अबे हमें लगा था कि तुम्हारा प्यार घंटे दो घंटे का होगा इसलिए हम लाइटली ले रहे थे। लेकिन स्याला अब लग रहा लौंडा सीरियस है। रूको गर्ल्स हॉस्टल में कई दोस्त हैं, उनसे नंबर लेकर दो मिनट में भेजते हैं। हां, रात में जो बात हो वो स्याले सुबह जरूर बताना।

प्रेमी से मिली हिम्मत के बाद लगा अब तो सेटिंग पक्की है। दो से तीन मिनट में ही हम घर में बैठे बैठे जेएनयू में कई मीटिंग स्पॉट को सेलेक्ट और रिजेक्ट कर चुके थे और कुछ स्पॉट दिमाग में इंट्री मारने ही वाले थे कि फोन पर मैसेज टोन बजा। फोन देखा तो मैसेज प्रेमी का था। मैसेज खोलते ही लड़की का नंबर हमारे सामने था।
दोस्त की इस मदद को सौगात समझ कर हमनें तुरंत आम लौंडो की तरह ही पहला मैसेज ‘हाय’ का भेजा। इस भरोसे के साथ की वहां से तो रिप्लाई आने से रहा। लेकिन किसी ने सच ही कहा है कि जब प्यार सच्चा हो तो मैसेज रिप्लाई क्या, लड़की तक खुद चलकर आती है। हालांकि अभी तक सिर्फ लड़की का मैसेज आया था, लेकिन हमारे लिए उस समय रिप्लाई का आना ही सब कुछ था।
पहले मैसेज के बाद लड़की से इतनी लंबी बात होगी कि सुबह के तीन बज जाएंगे यह तो सपने में भी नहीं सोचा था। बातचीत के दौरान प्रेमी के लिए कई बार दिल से दुआ निकली।
बातचीत के दौरान वेज-नॉनवेज बातों की तमाम लिमिट को क्रॉस कर दिया गया और आखिरी मैसेज में मैंने रिक्स लेते हुए लिखा ‘डू यू लव मी’। कुछ सेकेंड में ही रिप्लाई आया ‘या आई लव यू’। आखिरी मैसेज आने के बाद उस रात अपने नए प्यार को लेकर कई सुनहरे सपने आए और हुआ यूं कि हमनें पूरी रात करवटों में ही बिता दी।
अगले दिन सुबह उससे मिलने की चाहत और पहला प्यार मिलने की खुशी में कॉलेज जल्दी पहुंचे। सोचे गर्ल्स हॉस्टल से निकलते ही उसको हॉय बोल कर बातचीत का सिलसिला वहीं से शुरू किया जाएगा, जहां पिछली रात छोड़े थे।
उस दिन वह इंग्लिश वालों से उलट लाल सूट में हॉस्टल से निकली। सच कहें तो बिल्कुल गुलाब टाइप लग रही थी। मन ही मन हम सोचे बैठे कि भाई किस्मत कभी भी पलट सकती है और लगता है हमारी तो कल रात से ही पलट गई है।
कॉलेज के फेमस जावेद की दुकान के सामने के बेंच पर बैठे-बैठे उसको हॉस्टल से कॉलेज की तरफ बढ़ता देख दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी।
सोचा क्या कहेंगे पहली बार, चलो फिर शुरुआत हाय से ही की जाएगी।
इसी उधेड़बुन में थे कि वह सामने आ गई
हम हड़बड़ा के बेंच से उठे और लड़खड़ाते हुए हॉय बोल पड़े, लेकिन उसने रुकना तो दूर मेरी तरफ देखा तक नहीं।
हमें लगा रात में कुछ ज्यादा ही लिमिट क्रॉस हो गया लगता है। खैर हमनें सोचा अगले कुछ घंटे में तो लैब में मिलेगी ही, वहीं दोबारा बात की जाएगी।
हम इसी उम्मीद के साथ लैब पहुंचे। हर बीतते मिनट के साथ लैब में उसके आने का इंतजार बढ़ने लगा। इसी बीच कई साथी आए और प्रेमी भी चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ मेरी तरफ बढ़ा।
हमनें पहली बार इतनी ज्यादा विनम्रता दिखाई और खुद खड़े होकर उसे गले लगाया और कहा भाई धन्यवाद।
हो गई अपनी सेटिंग, अब हम अकेले बेंच पर न बैठे मिलेंगे।
प्रेमी कुछ बोला नहीं और मेरी बगल की सीट पर बैठकर कंप्यूटर पर काम करने लगा।
इसी बीच मैं भी कुछ देर के लिए बेमन ही कंप्यूटर की तरफ चेहरा घुमा कर बैठ गया।
अचानक ही पीछे से एक लड़की हंसती हुई मुझे करीब पीछे से अपनी बांहों में समेटते हुए कानों में बोली- आई लव यू....और खिलखिला पड़ी
मैं भीतर ही भीतर अपनी जीत पर उछल पड़ा।
हमें लगा भगवान इतना मेहरबान कैसे हो गया ।
लेकिन जैसे ही पीछे घूमा....मेरे साथ केएलपीडी होता मससूस हुआ
अरे ये तो मेरी क्लासमेट थी जिसमें मेरा बिल्कुल भी इंटरेस्ट नहीं था।
अब मैं उसे इग्नोर करना चाहता था और वो अपनी अदाओं से मुझे इरीटेट करने लगी थी।
जब मैंने ज्यादा इन्नोर करना शुरू किया तो उसका गुस्सा भी सातवें आसमान पर पहुंच गया
सबके सामने ही बोलना शुरू कर दिया --- रात में तो बड़ा रोमांस दिखा रहे थे अब क्यों मुंह बना रहे हो। क्या-क्या बात किए हो बताएँ क्या सबको....और वो वहां से पैर पटकते हुए निकल गई...।
गुरु पहली बार पैर के नीचे से जमीन खीसकने सा अहसास हुआ।
हमने फौरन प्रेमी की तरफ देखा..
स्याला दूर से ही कान पकड़कर इशारे में सॉरी बोलने लगा।
बाद में पता चला कि इस साजिश में कार्यालय गैंग का हाथ था। अभिनव, अमीश, अभिषेक, शाहनवाज और संतोष भाई सबने मिलकर ये साजिश रची थी कि उस लड़की का नंबर नहीं तुम अपनी क्लासमेट का नंबर दोगे क्यूंकि सबको पता था कि मैं उससे दूर भाग रहा हूं और सभी तफरीह के मूड में थे।
खैर, प्यार और पहले प्यार के गलत फोन नंबर के चक्कर में स्वप्न दोष हो ही चुका था। अब ये जो भारी बलंडर कर चुके थे उसे मैनेज खुद अकेले करना था, लिहाजा अगले दो दिनों तक कॉलेज न जाने का फैसला किया और जीवन में पहली बार एहसास हुआ कि प्यार इतनी आसानी से नहीं मिलता
और दोस्त से नंबर लेकर तो कभी भी प्यार हासिल नहीं किया जा सकता।
(समरजीत आईआईएमसी से पासआउट हैं। तेजतर्रार पत्रकार हैं। युवा दिलों की कहानियां लिखने में उस्ताद हैं )