भौकाली बाबा की कलम से
मानव कौल। बॉलीवुड में तेजी से अपने लिए एक खास जगह बनाता एक खास सितारा। जिसे खुद शायद सितारा शब्द सुनना थोड़ा भारी लगता है। फिर भी उसके चाहने वालों के लिए तो वो सितारा है ही। ऐसा सितारा जो एक्टिंग से हमारा दिल चुरा लेता है तो अपनी किताबों के जरिए हमारे दिलों में कहीं गहरे उतर जाता है।
फिल्मों के साथ-साथ लेखनी में भी बराबर सक्रिय रहना इतना आसान नहीं लेकिन मानव के लिए ये मुश्किल भी नहीं। लगातार फिल्में कर रहे हैं और अपने पाठकों के लिए किताबों का डोज भी दूसरी तरफ तैयार रखते हैं।
मानव को जानने वाले बताते हैं कि मानव थोड़े शर्मीले स्वभाव के इंसान हैं और बेहद ही अजीज। यानी अगर एक बार आप उनसे मिल लिए तो समझिए आप उनके हो गए। दरअसल, मानव की कहानियां भी उनके स्वभाव की इस गहराई की तरफ इशारा करती हैं। फिल्मों में निभाए किरदारों में डूब जाना भी यही इशारा देता है। आइए जानते हैं उनके बारे में और भी ऐसे दिलचस्प बातें----

बचपन में बेहद शरारती थे मानव
बकौल मानव, वे बचनपन में बेहद शरारती हुआ करते थे। इतने की घर में अक्सर उनकी पिटाई हो जाती थी। जिस मासूमियत से मानव इस बात को बताते हैं आप अपने बचपन में चले जाते हैं कुछ पल के लिए। जम्मू-कश्मीर के बारामूला शहर में जन्म हुआ। कश्मीरी पंडित परिवार में। वहां से परिवार होशंगाबाद में शिफ्ट हुआ।
पतंगे और गोलियां तक बेची
परिवार में हाथ बंटाने के लिए मानव ने होशंगाबाद में रहते हुए पतंगे और गोलियां भी बेचीं। बाद में वे डांस भी सिखाए। इस दौर में वे टाइपिंग सीख रहे थे। कंप्यूटर सीख रहे थे। और खुद मानव को नहीं पता था कि वे क्या-क्या सीख रहे हैं औऱ क्या-क्या कर रहे हैं और क्यूं कर रहे हैं।
जबरदस्त तैराक रहे मानव, नेशनल लेवल तक मेडल जीते
बचपन में अपने दोस्तों के साथ नदी में गोते लगाकर सिक्के बटोरने के खेल ने मानव को इतना हुनर दे दिया कि वे देश के बेहतरीन तैराकों में शामिल हो गए। नेशनल स्तर पर कई अवॉर्ड मानव की झोली में गिरे और वे टॉप तीन तैराकों में भी शुमार हुए।
एक कीड़ा रहा शुरू से साहित्य का और एक आग अभिनय की
मानव कौल जब भी गोता लगाने उतरते वे पानी के भीतर सीपियों की जगह कुछ कहानियां पकड़ रहे होते। ये साहित्य की तरफ झुकाव की तरफ बदला और बाद में आज उनकी कहानियों में नदी की वो गहराइयां दिखती हैं। उधर, गांव में एक नुक्कड़ जो देख लिया था वहां से अभियन कि आग दिल में घर कर चुकी थी। मानव ने सोच लिया कि अब रास्ता इधर ही है।
और फिर मुंबई में शुरू हुआ थिएटर का दौर
मप्र में शुरू हुआ थिएटर का सिलसिला मुंबई में गहराई तक पहुंचा। यहां मानव ने खुद को काफी मांजा और उनकी थिएटर एक्टिंग और लेखनी में भी काफी गहराई आई। और यही वजह है कि मानव काफी तेजी से मुंबई थिएटर जगत में स्थापित होते चले गए। उनके लिखे नाटक चर्चित हुए। उनके निर्देशित नाटकों को लोगों ने खूब सराहा।

करिअर को ऊंचाई मिली काए पो छे से, गहराई सिटी लाइट्स से
मानव कौल के अभिनय को बॉलीवुड ने पहचाना उनकी फिल्म काए पो छे से। और उनकी एक्टिंग को और उन्हें खुद अपने भीतर जो गहराई मिली वो थी फिल्म सिटी लाइट्स। इस फिल्म ने उनके भीतर के लेखक को भी झकझोंरा और कहा कि यार तुम्हें अभी बहुत आगे जाना है और साहित्य का कर्ज भी उतारना है। मानव ने शुरुआत की थी करिअर की फिल्म जजंतरम-ममंतरम से।

..और आज मानव किसी पहचान के मोहताज नहीं
आज बॉलीवुड में मानव कौल किसी पहचान के मोहताज नहीं है। बड़े स्टार्स के साथ काम कर रहे हैं। गंगाजल-2 में शानदार अभिनय से दिल जीता तो वजीर में बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन के साथ नजर आए। हाल ही जॉली एलएलबी-टू में भी मानव ने छोटा सा रोल किया। मानव ने एक फिल्म भी निर्देशित की 2012 में नाम है हंसा।

दो शानदार किताबें आई हैं मानव की
ठीक तुम्हारे पीछे
प्रेम कबूतर
