किस-विस। असली नाम तो किस ही है। लेकिन बोलते समय हम भारतीय लोग उसका नुक्स भी निकाल देते हैं। जैसे खाना-वाना वैसे ही हो जाता है किस-विस। तो भईया बातें आज किस की।
किस यानी चुम्मा। जी हां, वही चुम्मा जिसे लेकर गाना बना है आपका पसंदीदा गाना, चुम्मा..चुम्मा दे दे चुम्मा। तो आइए बात आगे बढ़ाते हैं। तो बात ये है कि क्या आप जानते हैं कि ये किस करने की वजह क्या है। आखिर हम लोग एक-दूसरे को किस क्यूं करते हैं। आखिर क्यूं होता है कि किस करना प्यार की इतनी बड़ी निशानी मानी जाती है। हमारे फिल्मो में चुम्मा लेने को इतनी खूबसूरती से महिमामंडित किया जाता है। विदेशों में तो लोग मिलते भी हैं तो हाथ मिलाने की जगह किस करते हैं।
निश्चित ही आपके जेहन में बार-बार ये सवाल उठता होगा कि आखिर ये किस क्यूं। तो आइए आपके दिमाग में उठ रहे इस सवाल का जवाब पढ़िए। लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए कि एक किस के दौरान करीब 8 करोड़ बैक्टीरिया को हम एक-दूसरे में ट्रांसफर करते हैं। हालांकि मैं राहत के लिए बता दूं कि ये सभी बैक्टीरिया नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। तो अब परेशान न होइए आगे पढ़िए।

ओ तेरी पुरी दुनिया नहीं सिर्फ 46 फीसदी ही करते हैं
अगर आपको लगता है कि पूरी दुनिया किस करती है तो भईया आप बड़े गलतफहमी में हैं। जी हां, ये जरूर है कि पश्चिमी दुनिया में ‘किसिंग’ करना सामान्य व्यवहार है. पर, एक नए अध्ययन के मुताबिक जिसमें की अध्ययन दुनिया के 168 संस्कृतियों में किया गया वहां जिसमें केवल 46 प्रतिशत संस्कृतियों में लोग रोमांटिक पलों में ‘किस’ करते हैं ये बात सामने आई.
हिन्दुओं में 3500 साल पुराना इतिहास
हिंदू संस्कृति में किस की क्रिया का सबसे पुराना उदाहरण हिंदुओं की वैदिक संस्कृति से मिलता है। ब्रिटेन की यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड के प्रोफेसर राफेल वलोडारस्की कहते हैं- ये करीब 3500 साल पुराना इतिहास है। वहीं मिस्र के प्राचीन संस्कृति में मिलता है कि वहां लोग किस करने की जगह एक-दूसरे को बाहों में समेट के खुद को करीब लाते थे।
पश्चिमी सभ्यता की देन
प्रो.विलियम जानकोवायक कहते हैं- किस करना पश्चिमी समुदाय की देन है। वो कहते हैं ये एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाता है। जीव विज्ञान फ्रांस डी वाल कहते हैं- चिंपांजी एक –दूसरे से झगड़ने के बाद एक दूसरे को किस करते हैं और हग करते हैं। यह मादा में ज्यादा होता है।

यह इंसानों के एक दूसरे के करीब पहुंचने की कोशिश है
आपको बता दें कि वलोडारस्की ने किस करने की प्रवृत्ति पर अपने एक अध्ययन में पाया कि किस करने की खास बात जो लोगों को लगी वो थी शरीर की सुगंध और एक-दूसरे के प्रति आकर्षित होना। इस नजरिए से उन्होंने माना कि किस करने को सांस्कृतिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है और यह इंसानों को एक-दूसरे के करीब पहुंचने की कोशिश है।