ये दौर कुमार सानू के गानों का दौर था। ये वो दौर था जब हम बचपन से अपनी जवानी की दहलीज पर कदम रख रहे थे। ये वो दौर था जब हमने स्कूल से निकलकर कॉलेज की खुली बाउंड्री में कदम रखा था और कुमार सानू के गाने गुनगुनाते हुए हम प्यार करना सीख रहे थे।
बल्कि यूं कहें कि उनके गानों के जरिए लड़कियों को इंप्रेस करने की एक कोशिश में जुटे थे। ये वो दौर था जब हर लड़के के फेवरिट कुमार सानू थे। ये वो दौर था जब कैसेट्स में सबसे अधिक कुमार सानू खरीदे जाते थे। ये वो दौर था जब पान की दुकान से लेकर ऑटो और ट्रकों तक कुमार साहब पहुंच गए थे। ये वो दौर था जब उनके गानों के जरिए दो दिलों में प्यार की पींगें भारी जाने लगी थीं. ये वो दौर था जब इन गानों के साथ मासूम प्यार जवां होने लगा था।
मुझे लगता है कि बचपन से अधिक खूबसूरत अगर जवान होते मेरे दिन थे तो वो खूबसूरती कुमार साहेब के गानों के कारण थी। अगर मैंने प्यार को थोड़ा बहुत भी समझा तो वो कुमार सानू के गानों का दौर था। और मुझे ये भी लगता है कुमार सानू के गानों ने हम सभी के दिलों में एक खूबसूरत संगीतमय माहौल बनाया जिसने काफी हद तक हमें उस माहौल से निकालने में कामयबा रहा जहां नफरत थी।
जहां बिगड़े हुए बोल थे और जहां जिंदगी में सिर्फ और सिर्फ एक बोझिलपन था। एक खालीपन था। कुमार सानू ने जिंदगी में खूबसूरती से रंगीनियत भरी है और इसके लिए शुक्रिया कुमार सानू साहेब। लीजिए आप भी आनंद लीजिए उन गानों का और चलिए चलें अपने उन दिनों में लौटकर---
एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा....
दो दिल मिल रहे हैं...
चुरा के दिल मेरा...
पहली-पहली बार मोहब्बत की है...
मेरा दिल भी कितना पागल ये प्यार तो तुमसे करता है...