प्रदीप मिश्रा ( दीपू बाबा)

नए-नए इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लिए थे हम। स्याला गोरखपुर के एक भुच्चड़ गांव से निकलकर पहुंचे थे पुणे जैसे बड़े शहर में। ऊ भी एक बड़े इंजीनियरिंग कॉलेज में। गोरखपुर में जब तक थे लड़कियों से इतना शरमाते रहे कि लड़कियां जिस गली से जाती थीं उस गली से तो हम गुजर भी नहीं पाते थे। कॉलेज में भी शरमाने का ये दौर जारी था।
लड़कियों से बात करते ही हिचकी आने लगती थी। डर के मारे। स्याला ई डर जाता ही नहीं था। ये हमारा दूसरा सेमेस्टर था और उस सेमेस्टर में आईं एक नई मैडम। इलेक्ट्रानिक्स की क्लास में जैसे ही मैडम इन कीं हमारा दिल स्याला आउट हो गया। मैडम पढ़ाती जातीं और हमारा दिल उनको पढ़ता जाता। माने ससुरा ऐसा लग रहा था जैसे मुझे ब्लैकबोर्ड नहीं सिर्फ मैडम दिख रही हैं। शब्द मेरे कान में नहीं जा रहे बल्कि बॉलीवुड के किसी प्रेम गीत की धून बज रही हो कानों में।

मैडम का लेक्चर खत्म हुआ वो बाहर निकलीं और लगा जैसे मेरी सांसें कहीं अटक गई हों। लगा जैसे कुछ बहुत बड़ा मुझसे छूट रहा है। जैसा लगा कि मेरी जिंदगी मुझसे दूर जा रही है। स्याला पहली ही नजर में इतना असर तो आज तक कभी नहीं हुआ था। दौड़ पड़ा मैं। दोस्त स्याले भी पीछे-पीछे दौड़े। लॉन से हम लोग बाहर निकले तो देखा मैडम तो स्टॉफ रूम में इन कर गई हैं।

स्टॉफ रूम के बाहर जाकर हम सभी के पैर थम गए। एक ने बोला- का बाबा दिल आ गया क्या मैडम पर। मैंने नाराजगी से उसकी तरफ देखा। दूसरा बोला, अबे बबवा इतना लड़कियों से शरमाता है स्याला इसका दिल क्या आएगा...मैडम तो मुझे पसंद आई हैं। तीसरा, चौथा...पांचवा ...अबे स्याला ई क्या ये तो सबका दिल मैडम पर आ गया था...। हम सभी एक दूसरे को देखे और खूब तेज हंसे और फिर वहां से बाहर कैंटीन की तरफ भागे।
और फिर कैंटीन में पहुंचे तो वहां पहले से ही मौजूद क्लास के लड़के मैडम के ही चर्चा में व्यस्त थे। हमें तो लगा कि स्याला मेरा ही दिल आया था। लेकिन नहीं यहां तो पूरे क्लास के लड़के दिल दे बैठे थे मैडम को। सारा सेमेस्टर खत्म हो गया लेकिन हर लड़के के दिल में उन्हें प्रपोज करने का इरादा अंदर ही रहा। ससुरा हिम्मत नहीं हुई। और जब हुई तब हम कॉलेज से बाहर हो गए थे। खैर, उन दिनों की बात याद कर आज हंसी आती है कि वो भी क्या मासूम दिन हुआ करते थे जब हम ऐंवें ही किसी को दिल दे बैठते थे।
( प्रदीप मिश्रा ने पुणे के एक कॉलेज से इंजीनियरिंग की। आज वे खुद का बिजनेस कर रहे हैं और साहित्य में उनकी खूब दिलचस्पी है। कहानियों का खजाना है उनके पास।)