भौकाली बाबा की कलम से
सड़कों पर ट्रकों के पीछे लिखे संदेशों को पढ़िए। हंस देते होंगे न दांत चिआर के। मैं भी हंसता हूं। हंसी हैं उसमें लेकिन उसमें एक मासूम क्रिएटिविटी भी है। मैं उस क्रिएटिविटी को सलाम करता हूं। आप भी उस मासूम क्रिएटिविटी को आगे से महसूसिएगा आप भी सलाम करेंगे। दरअसल, जाम में फंसे हों या भागती जिंदगी से परेशान सड़क पर मुस्कराने की वजह दे जाते हैं ये ट्रक वाले
हो सकता है वो कहीं से कॉपी करके लिखवाएं हों। हो सकता है कि उसे लिखने वाला कोई और हो लेकिन जिस खूबसूरती से ट्रकों के पीछे वो उसे टैग लाइन बनाकर अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रहे हैं और सड़कों पर जाम में फंसे, जिंदगी के भागमभाग में दौड़ रहे थके हारे लोगों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रहे हैं. मैं उन्हें ही इसके लिए सलाम करूंगा। मैं उन्हें ही इसका असली हकदार मानता हूं। मेरा सलाम है ऐसे ट्रक और ट्रकों के पीछे लिखे इन लाइनों में छिपे हास्य को।
आप भी पढ़िए और आनंद लीजिए और थोड़ा इस नजर से भी इन्हें देखिए...
ये मासूमियत और कहां मिलेगी

और ऐसा धारदार व्यंग्य

यूं इजहार कहां कोई कर पाता है.....

इतना जबरदस्त संदेश......

अपने शहर के प्रति ऐसा प्यार....

और इतना बेलाग ....
