माह-ए-मोहब्बत की शुरुआत के साथ ही भौकाली बाबा ने लव स्टोरीज की श्रृंखला शुरू की है। आपने जीवन में कभी भी मोहब्बत की हो, अपनों से प्यार बांटा हो। और उसकी कोई कहानी हमारे साथ शेयर करना चाहते हों तो शेयर कर सकते हैं। ये प्यार किसी के लिए हो सकता है माशूका, कोई दोस्त, मां-बाप, भाई-बहन या कोई अजनबी। तो देर किस बात की लिख भेजिए हमें अपने प्यार का पैगाम।
तो आइए शुरू करते हैं मेरी प्रेम कहानी- भौकाली बाबा की प्रेम कहानी
वो गर्मियों के दिन थे। मैं कॉलेज की छुट्टी में दिल्ली से अपने गांव गया था। पड़ोसी के घर में शादी थी और उस शादी में शरीक होने आई थी वो लड़की। नाम नहीं बताऊंगा और नाम से इस स्टोरी में कोई फर्क भी नहीं पड़ता। मान लीजिए उसका नाम है वो लड़की।

तो शादी की तैयारियां चल रही थीं। मैं चूंकि दिल्ली से कभी-कभी गांव पहुंचता था इसलिए पड़ोस का मैं राजा बाबू हुआ करता था। हर कोई बेहद प्यार करता और मुझे खूब रिस्पेक्ट मिलता। उस दिन अंकल की बेटी रिमी मेरे घर आई तो साथ में उसकी सहेली भी आई। हां, वही वो लड़की भी आई।
पीले दुपट्टे से सिर ढके जैसे ही वो मेरे आंगन में प्रवेश की मेरी निगाहें तो उस पर ही थम गईं। बला की खूबसूरत थी वो। रिमी ने मुझसे उसे मिलवाया और उसे बताया भी कि भईया दिल्ली से बीटेक कर रहा है और पढ़ने में बहुत तेज है। पूरे गांव की उम्मीदें इससे जुड़ी हैं। जितना ये पढ़ने में तेज है दिल का भी उतना अच्छा है। वो लड़की बस मासूम निगाहों से मुझे देखे जा रही थी। मुझे लग रहा था शायद वो मुझे परखे जा रही थी।

खैर, तो उस दिन दोनों के लौटने के बाद मैं काफी देर तक उसके ख्यालों में रहा। छत पर गया तो देखा वे दोनों बाहर दुआर पर बैठीं हैं बुआ लोगों के साथ। मैं तुरंत छत से नीचे उतरा और वहां उनकी महफिल में जा मिला। खूब सारी बातें हो रही थीं पर मेरी निगाह और शायद उसकी निगाह एक दूसरे से ही बतियाने में व्यवस्त थीं।
शादी के दिन जब मेरे घर से सभी तैयार होकर निकल रहे थे अचानक वो मेरे दरवाजे पर खड़ी थी। तुम तैयार नहीं हुए अब तक, उसने पूछा मुझसे। अरे होता हूं। सुबह से अभी तक काम में ही लगा रहा। अच्छा सुनो.,..वहां बहुत भीड़ है। मैं तुम्हारे यहां ही आकर तैयार हो लेती हूं। कोई दिक्कत...। मैं तो जैसे उछल पड़ा। पर, अपनी खुशी को अंदर ही रोक कर रखा था। हां, हां आ जाओ..। साथ-साथ तैयार हो लेंगे। दिक्कत कोई नहीं है। वो दौड़ी और एक प्लास्टिक बैग के साथ दोबारा लौटी।
मेरे घर में कोई नहीं था। पर, मेरे इरादे गलत नहीं थे। जाने क्यूं इस लड़की से एक नैसर्गिक प्यार कर बैठा था मैं। वो कुछ देर तक मेरे सामने ही तैयार हुई। मैं भी। हम एक दूसरे को देखकर मुस्कराते रहे। जब वो पूरी तरह तैयार हो गई तो मुझसे पूछा- कैसी लग रही हूं मैं..। झक्कास...मैंने जवाब दिया। वो मुझसे गले लग गई। मेरे कानों में थैंक्स कहा, और चिल्लाते हुए निकल गई जल्दी आ जाना तुम भी। ....

मैं कुछ देर के लिए वहीं बैठ गया। इसे क्या समझूं वो भी मुझे प्यार करती है। क्या है ये...। खैर, मैं उठा और शादी में शरीक हुआ। पूरे शादी के रस्म के दौरान हम एक दूसरे की आंखों को पढ़ते रहे। सुबह बारात विदा हो गई और अब वक्त था उसके विदा होने का। वो पापा के साथ आई थी और जाने की तैयारी कर रही थी।
मैं मायूस सा अपने घर लौट आया। अचानक कुछ ही देर बाद दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। ये वही लड़की थी। अरे, तुम रूके क्यूं नहीं। मुझे सी ऑफ नहीं करोगे।
नहीं....।
क्यूं प्यार करते हो मुझसे...।
शायद..।
शायद क्यूं...
यकीन से कहो।
क्यूं यकीन से कहूंगा तो रूक जाओगी।
नहीं अभी तो नहीं रूक पाऊंगी
पर, दोबारा लौटकर जरूर आऊंगी
मैंने दौड़ा और उससे लिपट गया। वो भी मुझसे लिपट गई। हम दोनों की आंखें थोड़ी नम हो गईं। फिर हमने एक-दूसरे से फिर मिलने का वादा किया और वो चली गई।

आज वो दिल्ली आई है। हम दोनों ने साथ लिव इन में रहने का फैसला किया है। उसने कहा-हमारे मिलने की कहानी याद है। मैंने अपनी डायरी उसे दिखा दी। डायरी में यही लिखा था। जो आपने ऊपर पढ़ा है अब तक..।
तो आपको भी आपका प्यार मिले। इसी दुआ के साथ हमारी कहानी के साथ अब तक बने रहने के लिए शुक्रिया।