ये कहानी है एक ऐसे लड़के के संघर्ष की जिसने अपने संघर्षों से साबित किया है कि अगर ठान लें तो कुछ भी असंभव नहीं। अगर जिद है तो दुनिया बदलने की क्षमता है आपमें। अगर हुनर है तो आज नहीं तो कल आपकी पहचान तय है। शायद इसी जज्बे से आगे बढ़ा ये लड़का और आज बॉलीवुड में धीरे-धीरे ही सही खुद को मजबूती से स्थापित कर रहा है।
सनी सैनी। जी हां, यही नाम है जिसके संघर्ष की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं। भौकाली बाबा से सनी ने लंबी बात की..आप भी पढ़िए और रूबरू होइए सनी के संघर्ष गाथा से। शायद आप भी इनसे कुछ प्रेरित हो पाएं।
घरवालों का साथ नहीं मिला, भाग कर पहुंचा मुंबई
सनी अपने पुराने दिनों को याद करते हैं तो उनकी आंखें भर आती हैं। बताते हैं- मेरा मन मुंबई पहुंचकर एक्टिंग करने का था। पर, घर के लोगों का सपोर्ट नहीं मिल रहा था। वही टिपिकल मिडिल क्लास सोच। पढ़ाई करो और चुपचाप नौकरी करो। मुंबई का ख्वाब मत पालो बर्बाद हो जाओगे। 12वीं के बाद जब आगे की पढ़ाई का प्रेशर बनने लगा तो सनी समझ गए कि वे अब इसी दुनिया में फंस कर रह जाएंगे। फिर क्या भाग निकले उस दुनिया से अपने सपनों की दुनिया में।

मुंबई में जीने के लिए लॉंड्री में काम किया, ट्रेन में किताब बेची, स्वीपर बना
मेरे पास पैसे नहीं थे। मुंबई में कोई जानने वाला नहीं था। कोई 16-17 की उम्र थी मेरी जब पहुंचा था मुंबई। 2010 का मार्च का महीना था। मकसद तो एक्टिंग है लेकिन खाऊंगा कहां इतने खर्चीले शहर में रहूंगा कैसे। ये तो पहले ही पता था कि अभी स्ट्रगल का दौर लंबा चलने वाला है। घर से कोई उम्मीद थी नहीं। इसलिए मैंने मैकडोनाल्ड में स्वीपर का काम शुरू किया। इसके साथ लॉंड्री ब्वाय के रूप में भी काम किया। फिर भी पैसे कम पड़ते तो खाली समय में ट्रेनों में जाकर किताबें बेच आता। करीब एक साल तक जिंदगी कुछ ऐसे ही संघर्षों से गुजरी।
किस्मत से फेविकोल का ऐड मिला और जिंदगी बदली
इन संघर्षों के बीच मैंने अपने जिद को खुद में बनाए रखा। लगातार लोगों से मिलता रहा। अपने आपको साबित करने का मौका देने के लिए आग्रह करता रहा। काम नहीं बनता लेकिन निराश न हुआ। और एक दिन किस्मत मेरी भी चमकी। फेविकोल का एक ऐड मिला और उससे कुछ अच्छी-खासी रकम मिली जो पूरे साल भर तक नहीं मिल पाई थी। और उसके बाद थोड़ा अच्छा रहने और खाने का जुगाड़ होने लगा। और एक राह मिल गई कि अब कैसे आगे बढ़ना है।
कुछ किरदार मिले और डायरेक्शन की तरफ जाने का मौका
फेविकोल के ऐड के बाद कुछ लोग जानने लगे। इसका फायदा यह हुआ कि कुछ धारावाहिकों में काम मिला। लापता गंज में छोटा सा रोल किया। इसके बाद कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग का मौका मिला और असिस्टेंट के रूप में काम किया। इससे थोड़ी और पहचान बनी और डीडी में अपने-अपने सपने धारावाहिक को असिस्ट करने का मौका मिला।
आगे की स्लाइड में पढ़ें---- जो भी काम मिला करता गया, पता था इसी के जरिए आगे जाऊंगा