भौकाली बाबा की एंटरटेनमेंट रपट
किसी भी साल की शुरुआत अगर बेजोड़ तरीके से हो जाए तो मामला फिट हो जाता है। दिल भी कहता है, हां यार, ये साल तो अच्छा जाएगा। मजा आएगा। इस साल। ये दिल ऐसा इसलिए कहता है क्यूंकि वे शुरुआत में उसे जो मिला उससे दिल को तसल्ली मिली और यकीन मिला और एक उम्मीद मिली। कहते हैं-उम्मीद पर दुनिया कायम है।
इस साल बॉलीवुड के लिए उम्मीद की दुनिया रईस और काबिल के जरिए बॉक्स ऑफिस तक पहुंची है। साल की शुरुआत में जब दो अच्छी फिल्में मिल जाएं तो फिर उम्मीद बंधती है कि ये साल फिल्मों के लिहाज से अच्छा जाएगा। इनोवेटिव और बेहतर फिल्में देखने को मिलेंगी।
उम्मीद बंधती है कि पूरे साल बेहतर मनोरंजन होगा। उम्मीद कभी नहीं छोड़नी चाहिए। यही वजह है कि जब रईस में शाहरूख के सामने नवाजुद्दीन सिद्दीकी अपने अभिनय का लोहा मनवाते हैं तो सुपरस्टार्स के जमाने में भी अच्छे एक्टर्स की कद्र की उम्मीद बंधती है।
दर्शक जब बाहर निकलते हैं और फिल्मों के नयापन पर चर्चा करते हैं तो दर्शकों की बदलती सार्थकता की उम्मीद बंधती है और यह उम्मीद हमें काफी आगे ले जाती है।