फिल्म रिव्यू के सभी धारणाओं को तोड़ता है भौकाली बाबा का यह रिव्यू। फिल्मों के रिव्यू के जरिए इंसानों के भीतर झांकने की एक कोशिश है यह। इसे फिल्म का रिव्यू कहने की बजाए रील और रीयल लाइफ का रिव्यू कहेंगे तो कहीं ज्यादा बेहतर होगा।
तो आइए इस सप्ताह दो फिल्में आ रही हैं। दोनों ही धाकड़ फिल्में हैं और उन फिल्मों का बतौर इंसान वास्तविक जीवन में क्या प्रतिबिंब है, इस पर हम आपका ध्यान खीचेंगे। तो यह फिल्म रिव्यू पहली बार इस फॉर्मेट में आप तक पहुंच रही है। उम्मीद है आप इसे काफी पसंद करेंगे।
तो चलिए बात करते हैं सबस पहले सुपरस्टार और किंग खान की फिल्म रईस का। रईस शाहरूख खान के करिअर के ऐसे पड़ाव पर आई है, जहां से उनके लिए इस फिल्म का बॉक्स ऑफिस पर दमदार प्रदर्शन करना बेहद जरूरी है और ये बात शाहरूख बखूबी जानते हैं। यही वजह है कि अपनी प्रोडक्शन की इस फिल्म में शाहरूख ने हर वो पुट डलवाने की कोशिश की है जो दर्शक देखना चाहता है।
राहुल ढोलकिया की फिल्म है और साथ में नवाजुद्दीन जैसे एक्टर हैं और पाकिस्तान की एक्ट्रेस माहिरा खान तो कुल मिलाकर हर वर्ग के दर्शकों को ध्यान में रखते हुए ये फिल्म का तानाबाना है। फिल्म के ट्रेलर ने बता दिया है कि फिल्म धांसू है और अब फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के बाद आ रहे फीडबैक ने इसे और मजबूती दे दी है। और माना जा रहा है कि काफी समय बाद शाहरूख की एक बेजोड़ फिल्म आ रही है। शाहरूख इस फिल्म से छा जाएंगे। निगेटिव शेड वाले शाहरूख के किरदारों के दोबारा उभरने का यह युग है। ऐसा भी माना जा रहा है।
उधर, शाहरूख खान के सामने काबिल लेकर आ गए हैं ऋतिक रोशन। मैंने शुरू में लिखा है कि जब इंसान काबिल हो जाता है तो वह दिल का रईस हो जाता है। अगर इसी फॉर्मेट को ध्यान में रखते हुए बात करें तो काबिल को सभी लोगों ने काबिल करार दिया है।
हर किसी ने ट्रेलर में ही कह दिया था कि ये ऋतिक की शानदार मुवी होने जा रही है और अब स्पेशल स्क्रीनिंग के बाद जो फीडबैक है., उसमें तय है कि कबाली इस साल कि सर्वश्रेष्ठ फिल्मों के दौड़ में होगी। संजय गुप्ता ने फिल्म को वो ऊंचाई दी है कि ऋतिक अपने डगमगाते करिअर को एक नई उड़ान दे सकते हैं यहां से। और इस दाग को भी धूल सकते हैं कि ऋतिक अपना बेस्ट सिर्फ अपने पिता राकेश रोशन की फिल्मों में ही दे पाते हैं।
तो साफ है कि आपको दोनों ही बेहतर फिल्में मिलने जा रही हैं। अब आप वास्तविक दुनिया की तरफ लौटिए और फिर इसे अपने जीवन से जोड़कर देखिए। आप खुद समझ जाएंगे कि ये बिल्कुल सच है कि जब भी इंसान काबिल होता है वो दिल का रईस हो ही जाता है। रईस का तात्पर्य सिर्फ पैसे से नहीं है और अगर आप रईस का मतलब सिर्फ पैसे से मानते हैं तो माफ कीजिएगा ये लेख आपके लिए है भी नहीं।
तो चलिए एंज्वाय कीजिए दोनों फिल्मों को और काबिल बनने की कोशिश कीजिए ताकि जिंदगी में दिल के रईस बन पाएं।
भौकाली बाबा को दीजिए इजाजत। फिर मिलेंगे किसी और फिल्म के रिव्यू के साथ ....।