मानव कौल की नई किताब आ रही है 'प्रेम कबूतर 'और इसी के बहाने हम आपको ले चल रहे हैं उनकी पिछली किताब 'ठीक तुम्हारे पीछे 'से जुड़ी अपनी उन खूबसूरत यादों में। तो आइए मेरे संग-संग चलिए।
पिछले दिनों अभिनेता मानव कौल की एक किताब पढ़ी। पढ़ी क्या बल्कि पढ़ाई गई। खूब पढ़ने वाले एक दोस्त ने कहा, मानव कौल को जानते हो। मैंने कहा, हां। अभी तो वजीर देखी थी उनकी। क्या धाकड़ एक्टिंग की है भाई ने। वो बोला- हां एक्टिंग तो जबर है ही मानव भाई की एक किताब भी आई है वो तो औरो जबर है। पढ़ोगे ? किताबों से दूर भागने वाला मैं जाने क्या सोचकर बोल दिया ठीक है दे देना। और वो तो जैसे लेकर ही बैठो था। तपाक से बाइक की डिक्की खोली और हाथ में मानव कौल की किताब थी,'ठीक तुम्हारे पीछे '। और जब उसे एक बार पढ़ना शुरू किया तो फिर लगा ही नहीं कि किताबों से दूर भागने वाला कोई शख्स किताब पढ़ रहा है। एक बइठकी में पूरी किताब पढ़ गया। मानो जैसे हर अगली कहानी कह रही थी कि मुझे अगर अभी छोड़ दिए तो मैं रूठ जाऊंगी। और जैसे हर बीतती कहानी कह रही थी मेरे बाद वाली कहानी में और गहराई है।
किताब पढ़ने के साथ मानव कौल के अभिनीत कैरेक्टर भी मेरे आंखों के सामने नाच रहे थे। मैं तुलनात्कम अध्ययन तो इसे नहीं कह सकता। पर, इस किताब की कहानियों ने, इसके एक-एक शब्दों ने मुझे ठीक मानव कौल के पीछे ले जाकर खड़ा कर दिया। अद्भूत। मानव की इस किताब को पढ़ते हुए जब मैं गुजर रहा था तो मुझे अहसास हुआ कि वास्तव में मानव कौल की एक्टिंग में इतनी गहराई क्यूंकर है ? उनकी कहानियों के ट्रीटमेंट, उनके शब्दों की गहराई बता रही थी कि वो जो भी करता होंगे उसमें डूब जाते होंगे। फिर चाहें वो लेखनी हो या फिर एक्टिंग। मानव के इस कहानी संग्रह को पढ़ते हुए हर कहानी के साथ आप खुद को जुड़ता पाएंगे। उनके किरदारों में कहीं न कहीं आप खुद को महसूसेंगे। और यही जीत है मानव की, उनके कहानियों की। ये ऐसी किताब है जो जरूर पढ़ी जानी चाहिए।